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नौगढ़ में गोंड जाति प्रमाण और विस्थापित भूमि विवाद पर गरमाया माहौल, ASP–भीम आर्मी मैदान में

ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन समस्याओं का हल निकालने की बजाय बेबस गरीब जनता को डराने-धमकाने की साजिश कर रहा है। गांव के लोगों ने कहा कि वे दमनकारी नीति को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।
 

भरदुआ और विशेषरपुर गांव बने संघर्ष का केंद्र

ASP और भीम आर्मी नेताओं की आज गांव में एंट्री

प्रशासनिक कार्रवाई से भड़के लोग

भरदुआ में आर-पार की रणनीति बनाएंगे नेता

चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में भरदुआ और विशेषरपुर गांव इन दिनों दलित–पिछड़े समाज की लड़ाई का केंद्र बन गया है। गोंड जाति प्रमाण पत्र न मिलने और विजयपुर–विजौरा की विस्थापित भूमि विवाद से परेशान ग्रामीण लगातार प्रशासन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। हालात तब और गरम हो गए जब प्रशासन ने 13 नामजद व सैकड़ो अन्य ग्रामीणों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया। अब हालात ऐसे हैं कि ग्रामीणों का आक्रोश उफान पर है और आजाद समाज पार्टी व भीम आर्मी के नेता गांव पहुंचकर आर-पार की रणनीति बनाने वाले हैं। लोगों का कहना है कि यह आंदोलन अब रुकने वाला नहीं, बल्कि नई दिशा लेगा।

आपको बता दें कि विकास खंड नौगढ़ में वन विभाग की कार्रवाई से भरदुआ, विशेषरपुर, जनकपुर और आसपास के गांवों में पहले से ही तनाव की स्थिति है‌। ऐसे कई मामले सामने आए जिसमें  डीएम और एसपी को गांव में चौपाल लगानी पड़ी। लेकिन ग्रामीणों पर मुकदमा दर्ज होते ही गुस्सा और भड़क उठा। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन समस्याओं का हल निकालने की बजाय बेबस गरीब जनता को डराने-धमकाने की साजिश कर रहा है। गांव के लोगों ने कहा कि वे दमनकारी नीति को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। अब यह संघर्ष उनके अस्तित्व और अधिकार की लड़ाई बन चुका है।

ASP और भीम आर्मी का आज आगमन

बताया जा रहा है कि आज  भरदुआ गांव में आजाद समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष  अरविन्द और भीम आर्मी  अपने तमाम पदाधिकारियों के साथ पहुंच रहे हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि प्रशासन की हर ज्यादती का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। यह सिर्फ जाति प्रमाण या विस्थापित भूमि का सवाल नहीं, बल्कि गरीब–वंचित समाज की गरिमा और न्याय की लड़ाई है।

जनता की पीड़ा – शिक्षा और रोजगार पर संकट .... 

भीम आर्मी के वरिष्ठ नेता और जिला संरक्षक रामचंद्र राम का कहना है कि गोंड जाति का  प्रमाण पत्र न मिलने से नौगढ़ में हजारों युवाओं का भविष्य अंधेरे में है। शिक्षा और नौकरी में आरक्षण के अधिकार से वे वंचित हो रहे हैं। वहीं विस्थापित भूमि विवाद ने गरीब किसानों की कमर तोड़ दी है—न खेती हो पा रही है, न परिवार का भरण-पोषण। दशकों से संघर्ष के बावजूद प्रशासन सिर्फ वादे करता है और समस्याओं को टाल देता है।

नेताओं का तेवर – अब नहीं होगी चुप्पी

पूर्व जिला सचिव श्यामसुंदर ने कहा, “प्रशासन दलित-पिछड़े समाज की आवाज दबाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन हम संघर्ष से पीछे नहीं हटेंगे। यह आंदोलन अब और बड़ा होगा।” वहीं जिला उपाध्यक्ष अवधेश भारती ने चेतावनी दी, “फर्जी मुकदमों से हम डरने वाले नहीं। अब यह लड़ाई गांव-गांव और गली-गली तक पहुंचेगी। न्याय की लड़ाई हर हाल में लड़ी जाएगी।”

टकराव की स्थिति, ग्रामीणों की चेतावनी

भरदुआ, विशेषरपुर गांव में तनाव का आलम ऐसा है कि लोग दिन-रात चौकसी कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान जल्द नहीं हुआ तो वे बड़े आंदोलन का एलान करेंगे। युवा नेता कृष्ण कुमार गोंड ने साफ कहा है कि यह लड़ाई अब अधिकार और सम्मान की है। इस मामले में सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि प्रशासन झुकेगा या हालात आर-पार के टकराव की ओर बढ़ेगा।

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