चंदौली समाचार की खबर का बड़ा असर, मारपीट करने वाले 12 मनबढ़ों पर दर्ज हुआ मुकदमा,

चंदौली समाचार की खबर को पढ़कर जागा पुलिस का ढीला सिस्टम
जानिए 12 मनबढ़ों के क्यों दर्ज हुआ मुकदमा
जानिए कहां के रहने वाले हैं सारे आरोपी,
चंदौली जिले की पुलिस के अजीबोगरीब तर्क और कारनामे हैं। "शराब पीकर गए थे, महिलाओं से उलझे थे"— कल तक यही बहाना बना रही थी पुलिस। गंभीर रूप से घायल वनकर्मियों पर ही आरोप मढ़ दिए गए, तहरीरें दबा दी गईं। साथ ही FIR लिखने से इनकार कर दिया गया। लेकिन जब चंदौली समाचार ने सच्चाई उजागर की, तो एसपी आदित्य लांग्हे ने रिपोर्ट तलब की। इतना ही नहीं बहाना बनाने वाले थाना चकरघट्टा के प्रभारी को फटकार लगाई तो वह जागे...तब अतिक्रमणकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।

नौगढ़ में जंगल बचा रहे वनकर्मी पीटे जा रहे हैं, क्या अब लाश पर मुकदमा लिखेगा सिस्टम ?
जंगल बचा रहे थे, उल्टे पीटे गए थे वनकर्मी
वन विभाग की टीम गुरुवार की रात मझगाई रेंज के जनकपुर वन क्षेत्र में आरक्षित जंगल की अवैध जुताई रोकने पहुंचे वनकर्मियों पर अतिक्रमणकारियों ने जानलेवा हमला किया। लाठी-डंडों से लैस भीड़ ने उन्हें घेर लिया, बंधक बनाकर बेरहमी से पीटा। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह रही—कि पुलिस ने वनकर्मियों को ही दोषी ठहराने की कोशिश की।

थाने में तहरीर देने पहुंचे घायल कर्मचारियों से कहा गया, "तुम लोग तो शराब पीकर महिलाओं से उलझ गए थे, तुम्हीं गलती पर हो..."
मेडिकल रिपोर्ट, प्रत्यक्षदर्शी, नामजद तहरीर — सब कुछ मौजूद था, फिर भी FIR नहीं लिखी गई। उल्टे वन विभाग से दबाव डालकर सुबह तक समझौता कराने की कोशिश की गई। वनकर्मियों को बार-बार बुलाकर उलटे सवाल-जवाब किए गए, जैसे आरोपी वही हों।
कहानी बदली जब चंदौली समाचार ने सच्चाई उजागर की
जब चंदौली समाचार की रिपोर्ट वायरल हुई, तो एसपी ने खुद संज्ञान लिया। थाना प्रभारी को फटकार मिली, अफसरों की नींद टूटी, 11 नामजद अतिक्रमणकारियों पर आखिरकार दर्ज हुआ मुकदमा
अब सवाल जनता का है —
क्या अब जंगल जोतने वालों को खुली छूट मिल गई है?
क्या सरकारी कर्मचारियों को पीटने के बाद भी पुलिस "सबूत" खोजती रहेगी?
FIR के लिए भी क्या अब मीडिया दबाव की जरूरत पड़ेगी?
क्या पुलिस अब अपराधियों को बचाने का माध्यम बन चुकी है?
ऐसी है चंदौली समाचार की हनक..हम सच लिखते हैं—और सच से जागता है सिस्टम।
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