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गांवों में बने मिनी सचिवालय व पंचायत भवनों में फेल हैं CCTV कैमरे, जाकर चेक करिए BDO साहब

सरकार की ओर से भले ही ग्राम पंचायतों में स्थित मिनी सचिवालय को आधुनिक सुविधाओं से युक्त किया जा रहा, लेकिन सरकारी मशीनरी व पंचायत प्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण शासन की मंशा पर पानी फिर गया है। 
 

मिनी सचिवालय के सीसीटीवी कैमरे बने शोपीस

शासन की मंशा पर फिरा पानी

लाखों खर्च के बाद नहीं हो रहा कैमरों का सही उपयोग 

 

चंदौली जिले में सरकार की ओर से भले ही ग्राम पंचायतों में स्थित मिनी सचिवालय को आधुनिक सुविधाओं से युक्त किया जा रहा, लेकिन सरकारी मशीनरी व पंचायत प्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण शासन की मंशा पर पानी फिर गया है। 

जनपद के 734 ग्राम पंचायतों में स्थापित मिनी सचिवालय में लाखों रुपये खर्च कर सीसीटीवी कैमरे तो लगा दिए गए, लेकिन 90 प्रतिशत कैमरे या तो खराब हो गए हैं, या मौके पर हैं ही नहीं। इससे अभिलेखों को सुरक्षा व कार्यों की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़ा हो गया है। आखिर ब्लॉक के बीडीओ और एडीओ पंचायत कार्यालय से बाहर निकलकर इन चीजों की निगरानी क्यों नहीं करते हैं।


ग्राम पंचायतों में 20 लाख से अधिक रुपये खर्च कर बनाए गए पंचायत भवन व मिनी सचिवालय में कैमरे तो लगाए गए, लेकिन इनमें 90 प्रतिशत संचिवालय में कैमरे खराव होकर शो पीस बने हुए हैं। कैमरों का संचालन ही नहीं हो रहा है।  यही हाल पंचायत सहायकों के लिए लगाए गए कंप्यूटर का भी है। कंप्यूटर या तो चारी हो गए या फिर पंचायत प्रतिनिधि के घर के की शोभा बढ़ा रहे हैं। इससे ग्रामीणों को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। 

अच्छे काम व पारदर्शिता के लिए लगे थे कैमरे 


सरकार की ओर से पंचायत भवनों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का मुख्य उद्देश्य पंचायत भवन में हो रहे कार्यों की मानीटरिंग करने के साथ सचिवालय में रखें अभिलेखों व अन्य उपकरण पर तीसरी आंख की नजर रखना था। इसके लिए ग्राम पंचायतों की ओर से पंचायत निधि से पैसे खर्च किए जाने थे। विडंबना कि एक कैमरा लगाने पर न्यूनतम 25 हजार से अधिक रुपये खर्च किए गए, लेकिन कैमरों का संचालन नहीं हो पा रहा है।

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