डॉ. आनंद रत्न मौर्या का करिश्मा दोहराने की कोशिश करेंगे पांडेयजी, ऐसा रहा है चंदौली सीट का इतिहास
कांग्रेस-भाजपा ने सबसे अधिक लहराया है परचम
सपा के दो सांसदों को दिल्ली भेज चुकी है जनता
कई दलों के सांसद नहीं जीत सके दोबारा
1984 के बाद नहीं जीत सकी है कांग्रेस
अब केंद्रीय मंत्री डॉ. महेन्द्रनाथ पांडेय के पास मौका
चंदौली जिले से तीसरी बार लोकसभा का टिकट पाने के बाद केंद्रीय मंत्री डॉ. महेन्द्रनाथ पांडेय पूरी तरह से इलेक्शन मोड में आ गए हैं। अब जिले के हर छोटे-बड़े कार्यक्रम में भी दिखायी देने लगे हैं। कहा जा रहा है कि छोटे-छोटे आयोजनों में भी देर-सबेर बुलाए जाने पर जाने का मौका नहीं छोड़ रहे हैं।
भाजपा के मिशन 80 और अबकी बार 400 पार के सपने को साकार करने के लिए केंद्रीय मंत्री डॉ. महेन्द्रनाथ पांडेय भी जोर लगा रहे हैं और मोदी-योगी सरकार के गुणगान के जरिए अपनी सीट जीतने के लिए पसीना बहाने की कोशिश कर रहे हैं।
चंदौली जिले में लोकसभा का लगातार 3 बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड केवल भाजपा प्रत्याशी के नाम है। भाजपा की लहर में आनंद रत्न मौर्य ने लगातार तीन बार चंदौली संसदीय सीट से जीत दर्ज की है। अब चंदौली के वर्तमान सांसद और केंद्रीय मंत्री डॉ. महेन्द्रनाथ पांडेय को तीसरी बार भाजपा का टिकट मिला है। डॉ. पांडेय तीसरी बार जीत हासिल करते हैं तो आनंद रत्न मौर्य की बराबरी करेंगे।
आपको बता दें कि जब डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय ने 2019 में लोकसभा का चुनाव जीता तो भाजपा ने कांग्रेस के पांच बार संसदीय सीट जीतने के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। अगर इस बार भाजपा का उम्मीदवार जीतता है तो चंदौली से सबसे ज्यादा छह बार सांसद भेजने का रिकार्ड भाजपा के नाम हो जाएगा। कांग्रेस के टिकट पर आखिरी बार श्रीमती चंद्रा त्रिपाठी ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था। उसके बाद से कोई कांग्रेसी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका।
चंदौली के लोगों ने हर पार्टी को अपनाया है। चंदौली से पांच बार कांग्रेसी सांसद हुए हैं। वहीं पांच बाद भाजपा ने जीत दर्ज की हैं। एक-एक बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, भारतीय लोकदल, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और जनता दल ने जीत दर्ज की है।
यदि चंदौली लोकसभा सीट के इतिहास को देखें तो 1952 और 1957 में त्रिभुवन नारायण सिंह कांग्रेस पार्टी से, 1962 में बालकृष्ण सिंह भी कांग्रेस पार्टी से, 1967 में निहाल सिंह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से, 1971 में सुधाकर पांडेय कांग्रेस पार्टी से, 1977 में नरसिंह यादव भारतीय लोकदल से, 1980 में निहाल सिंह जनता पार्टी से, 1984 में चंद्रा त्रिपाठी कांग्रेस से, 1989 कैलाशनाथ सिंह यादव जनता दल से, 1991, 1996 और 1999 में आनंदरत्न मौर्या भाजपा से जीते।
इसके बाद 1999 जवाहरलाल जायसवाल समाजवादी पार्टी से, 2004 में कैलाशनाथ सिंह यादव बहुजन समाज पार्टी से और 2009 रामकिशुन यादव समाजवादी पार्टी से सांसद बनने का गौरव हासिल किया। वर्ष 2014 से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है और 2014 व 2019 में भाजपा के डॉ. महेन्द्रनाथ पांडेय ने जीत दर्ज की। इसके बाद वह मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने।
एकबार फिर भाजपा ने डॉ. महेन्द्रनाथ पांडेय पर भरोसा जताते हुए हैट्रिक लगाने का मौका दिया है। अब देखना है कि वह डॉ. आनंद रत्न मौर्या का करिश्मा दोहरा पाते हैं या नहीं।
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