नेताओं की नौटंकी से हंगामे की भेंट चढ़ी दिशा की मीटिंग, नहीं हुयी कोई सार्थक चर्चा

बिना चर्चा के ही कार्यवाही हुई पूरी करने का दावा
सपा-भाजपा नेताओं ने मीटिंग में जमकर किया हंगामा
सांसद की भी बात नहीं माने सपा विधायक
डीएम बोले- मीटिंग हो गयी स्थगित
चंदौली जनपद के कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में शनिवार को दिशा की बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें सपा के सांसद विधायक व भाजपा के विधायक अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहे एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहे, जिसके कारण बैठक में हंगामा का माहौल हो गया। इस हंगामे को देखते हुए जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे ने बैठक को स्थगित करने के लिए अध्यक्ष व चंदौली के सांसद से अपील किया लेकिन अध्यक्ष के पद पर बैठे सांसद वीरेन्द्र सिंह ने बिना चर्चा के ही बैठक को पूरा करने की बात कही।

आपको बता दें कि चंदौली जनपद के कलेक्टर सभागार में आयोजित दिशा की बैठक में जमकर हंगामा हुआ तू-तू मैं-मैं के कारण विकास कार्यों को लेकर चर्चा नहीं हो पाई और एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप चलता रहा। बैठक के बीच में रॉबर्ट्सगंज के सांसद छोटेलाल खरवार से सैयदराजा विधायक सुशील सिंह की तकरार हुई। वहीं समाजवादी पार्टी के विधायक सकलडीहा के विधायक प्रभु नारायण सिंह यादव द्वारा मुगलसराय के विधायक रमेश जायसवाल को लेकर ऐसी टिप्पणी की गयी, जिससे माहौल गर्म हो गया। मामला तू-तड़ाम तक जा पहुंचा तो हंगामा और बढ़ने लगा। विधायक रमेश जायसवाल भी काफी गर्म हो गए।
भाजपा के जनप्रतिनिधि सपा विधायक से माफी मांगने के लिए हंगामा करने लगे, जिस पर समाजवादी पार्टी के सांसद व बैठक के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने भी सपा विधायक से अपनी बात वापस लेने के लिए कहा, लेकिन सपा विधायक माफी मांगने के बजाय बात को घुमा फिरा कर अपने को सीनियर विधायक बताने लगे। इसी मामले को लेकर सभागार में विकास कार्यों की चर्चा न हो सकी, केवल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप ही चलते रहे।
हंगामा बढ़ता देख जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक मामले की गंभीरता को देखते हुए इस बैठक को स्थगित करने के लिए निवेदन किया। जिलाधिकारी के अपील करने के बाद बैठक तो स्थगित हो गई, लेकिन पदेन अध्यक्ष समाजवादी पार्टी के चंदौली के सांसद वीरेंद्र सिंह ने इस कार्यवाही को पूर्ण बताया। हालांकि केवल कुछ ही बिंदुओं पर ही चर्चा हो पाई थी। न्य विकास कार्य को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई, जिससे संबंधित विभाग के अधिकारी भी अपनी जवाबदेही से बचते रहे।
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