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शिया समुदाय के सकलैन ने शिवलिंग स्थापित करने के लिए दान दे दी अपनी जमीन, जानिए कैसे राजी हुआ मुस्लिम परिवार

गांव के इमामबाड़े के मुतवल्ली मंजूर आलम ने बताया कि जिस स्थान पर खुदाई में शिवलिंग मिला है, ना वहां मदरसा की जमीन न ही मस्जिद की नहीं इमामबाड़े की जमीन है।
 

विधायक की पहल पर मुस्लिम परिवार ने दान में दी अपनी जमीन

शिव मंदिर बनाने के लिए स्वेच्छा से दे दी एक बिस्वा जमीन

मकान के लिए नींव खुदाई के दौरान मिला था शिवलिंग 

चंदौली जिले के नियामताबाद ब्लाक अंतर्गत धपरी गांव में कोर्ट की जमीन से सटी एक मुस्लिम के निजी आरजी में 26 जुलाई को नींव के खुदाई के दौरान प्राचीन शिवलिंग मिलने से हड़कंप मच गया था। इसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों को शांत कर दिया बाद में शिवलिंग को शिव मंदिर में स्थापित कराया। सुबह होते ही ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की जिस स्थान पर शिवलिंग मिली है उस स्थान पर मंदिर बनाया जाए। 

उसी जमीन पर स्थापित होगा शिवलिंग, मुस्लिम परिवार ने दान की अपनी जमीन

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इस संवेदनशील मामले को लेकर भाजपा विधायक रमेश जायसवाल सक्रिय हुए और मौके पर पहुंचे। उनके साथ उपजिलाधिकारी अनुपम मिश्रा और क्षेत्राधिकारी कृष्ण मुरारी शर्मा भी उपस्थित रहे। ग्रामीणों ने अधिकारियों को बताया कि यह भूमि ऐतिहासिक महत्व की है और शिवलिंग की प्राप्ति इसका प्रमाण है।

 

विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के बाद तय किया गया कि शिवलिंग जहां मिला है, वहीं पर मंदिर की स्थापना की जाएगी। भूमि की पैमाइश के दौरान यह भी पाया गया कि उसका कुछ हिस्सा सरकारी है, जिसे ओपेन जिम  निर्माण में शामिल किया जाएगा। विधायक रमेश जायसवाल ने न केवल मंदिर निर्माण का समर्थन किया, बल्कि इसे बनवाने का आश्वासन भी ग्रामीणों को दिया।

सकलैन ने जतायी अपनी रजामंदी
मुस्लिम परिवार के  सकलैन ने मीडिया से बातचीत में बताया कि यह गांव उनका ननिहाल है और यहां उनकी जमीन है। वह बाउंड्री कराने के लिए आए थे। खुदाई के दौरान लेबरों ने बताया कि मिट्टी में शिवलिंग मिला है, हालांकि उन्होंने खुद नहीं देखा। सकलैन ने कहा कि वह कोई विवाद नहीं चाहते। विधायक जी के सम्मान और गांव की शांति को ध्यान में रखते हुए वे एक बिस्वा जमीन मंदिर निर्माण के लिए दान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि धर्म-संस्कृति का आदर करते हुए गांव में सौहार्द बना रहना चाहिए।

 

ग्रामीणों ने बताया कि गांव के कोट पर इमामबाड़ा स्थित है, जिसके बगल में हर साल परी माता की पूजा होती है। इमामबाड़े से सटी हुई सकलैन की 11 बिस्वा जमीन है। जहां खुदाई में शिवलिंग मिला, वह स्थान सकलैन और सुदर्शन पाठक के खेतों की मेड़ पर स्थित है। इसको लेकर गांव में चर्चा का माहौल है, लेकिन लोग सौहार्द बनाए रखने की बात कर रहे हैं।

कई साल पहले गांव से गायब हुआ था शिवलिंग
गांव के एक ग्रामीण ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि करीब 10-20 साल पहले गांव के मंदिर से एक शिवलिंग गायब हो गया थी। उसकी काफी खोजबीन की गई, लेकिन वह नहीं मिला था। अब जो शिवलिंग खुदाई में मिली है, वह देखने में अलग लग रही है। उसका आकार भी पहले वाली से मेल नहीं खाता, जिससे यह नहीं कहा जा सकता कि यह वही खोया हुआ शिवलिंग है।


मदरसे व इमामबाड़े की नहीं है जमीन
 गांव के इमामबाड़े के मुतवल्ली मंजूर आलम ने बताया कि जिस स्थान पर खुदाई में शिवलिंग मिला है, ना वहां मदरसा की जमीन न ही मस्जिद की नहीं इमामबाड़े की जमीन है। जबकि इमामबाड़े की जमीन से कोई लेना-देना भी नहीं है। वह जमीन पहले इश्तियाक के नाम थी। बाद में टीपू अख्तर के नाम पर दर्ज हुई और अब सकलैन के नाम से है। उन्होंने बताया कि यह गांव पहले सुल्तानपुर के नाम से जाना जाता था और आज भी कुछ जमीनों के कागजों में यही नाम दर्ज है। हालांकि बीते कुछ वर्षों से इस क्षेत्र को धपरी के नाम से जाना जा रहा है।

हालांकि विधायक और प्रशासनिक अधिकारियों की मध्यस्थता से मुस्लिम पक्ष ने आपसी सहमति और सौहार्द के साथ शिव मंदिर निर्माण की अनुमति दे दी। यह निर्णय दोनों समुदायों के बीच आपसी समझ और शांतिपूर्ण समाधान का प्रतीक बन गया।

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