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सपा प्रत्याशी कर रहे बहुत बड़ी गलती, होगा 50 हजार वोटों का नुकसान

कुछ ऐसा ही हाल सैयदराजा विधानसभा का है, जहां पर समाजवादी पार्टी के विधायक रहे और पूर्व राष्ट्रीय सचिव मनोज सिंह डब्लू को भी वीरेंद्रनाथ सिंह ने दरकिनार कर दिया है।
 

चंदौली ससंदीय सीट के प्रत्याशी

सपा प्रत्याशी वीरेन्द्र सिंह कर रहे बड़ी चूक

टिकट पाने के बाद महंगी पड़ेगी नजरंदाजी

जीत के लिए जरूरी हैं इन दो नेताओं का साथ

चंदौली जिले में समाजवादी पार्टी के टिकट पर वाराणसी जिले से चंदौली ससंदीय क्षेत्र से लोकसभा के टिकट पर जिले में चुनाव लड़ने आए उत्तर प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह जोर-शोर से अपने चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वह चंदौली जनपद में अपने कुछ खास सिपाहसालारों के जरिए चुनावी रणनीति को अंजाम देना चाहते हैं। इसीलिए वह समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं को अपने हर कार्यक्रम में आमंत्रित कर रहे हैं, जबकि कुछ नेताओं को नजरअंदाज भी करते जा रहे हैं।

 चंदौली जनपद में मुगलसराय, सैयदराजा और सकलडीहा विधानसभा में तीन समाजवादी पार्टी के 3 अलग अलग दिग्गज नेताओं की स्थानीय लोगों में मजबूत पकड़ मानी जाती है, जिसमें रामकिशुन यादव और उनके छोटे भाई बाबूलाल यादव विकासखंड नियामताबाद और मुगलसराय विधानसभा क्षेत्र में समाजवादी पार्टी के मजबूत नेताओं में गिने जाते हैं। वहीं सैयदराजा में पूर्व विधायक व राष्ट्रीय सचिव मनोज सिंह डब्लू मजबूत कहे जाते हैं, जबकि सकलडीहा विधानसभा में सपा विधायक प्रभुनारायण सिंह का दबदबा माना जाता है। इसलिए सपा से मजबूती के साथ चुनाव लड़ने व जीत हासिल करने के लिए किसी भी उम्मीदवार को इन तीनों नेताओं की जरूरत पड़ेगी।

आपको याद होगा कि रामकिशुन यादव दो बार मुगलसराय विधानसभा के विधायक के रूप में इलाके का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। इसके अलावा चंदौली जिले की इसी सीट से पहली बार नए परिसीमन पर हुए चुनाव में 2009 में सपा के सांसद भी रह चुके हैं, लेकिन 2014 के चुनाव में हार के बाद समाजवादी पार्टी ने उन पर भरोसा नहीं जताया और 2019 के चुनाव में बाहर के उम्मीदवार डॉक्टर संजय चौहान को सपा-बसपा गठबंधन के तहत चुनाव मैदान में उतार दिया है। उसके बाद से रामकिशुन यादव 2022 के विधानसभा के चुनाव में दावेदारी करने लगे। उसमें भी उनको निराशा हाथ लगी तो वे 2024 के चुनाव की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अबकी बार भी उनके हाथ पार्टी का टिकट नहीं लगा।

Samajwadi Party Candidate

ऐसी है नए प्रत्याशी की प्रचार योजना
 समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर स्थानीय नेताओं को दरकिनार कर कई दलों से घूमकर समाजवादी पार्टी में आए वीरेंद्र सिंह पर भरोसा जताया है और उनको चंदौली संसदीय सीट का प्रत्याशी घोषित कर दिया है। हालांकि टिकट मिलने के बाद वीरेंद्र सिंह और रामकिशुन यादव की आपसी मुलाकात हो चुकी है, लेकिन चुनाव प्रचार में दोनों नेता एक साथ नहीं दिख रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि रामकिशुन यादव और उनके समर्थकों के द्वारा टिकट बदले जाने की मांग को लेकर लगातार उठ रही आवाज को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी दूरी बनाना मुनासिब समझा है। यह भी सच है कि रामकिशुन के समर्थक आलाकमान के फैसले से नाराज हैं और वह बार-बार आलाकमान से फैसला बदलने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन अब उनको इसकी संभावना कम ही दिखती है।
वहीं दूसरी ओर सपा उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह अपने पार्टी के चुनाव कार्यालय का शुभारंभ करने के साथ-साथ कई इलाकों में लगातार बैठकर कर रहे हैं। इस दौरान मुगलसराय की किसी भी कार्यक्रम में रामकिशुन यादव और बाबूलाल यादव को उन्होंने अपने साथ नहीं रखा है। ऐसी स्थिति में उनके समर्थक वीरेंद्र सिंह के साथ कितने मजबूती के साथ खड़े होंगे, यह सोचने वाली बात होगी।

कुछ ऐसा ही हाल सैयदराजा विधानसभा का है, जहां पर समाजवादी पार्टी के विधायक रहे और पूर्व राष्ट्रीय सचिव मनोज सिंह डब्लू को भी वीरेंद्रनाथ सिंह ने दरकिनार कर दिया है। उन्होंने सैयदराजा विधानसभा में कार्यालय के उद्घाटन के अवसर पर भी उनको आमंत्रित नहीं किया, जिसकी वजह से कार्यालय उद्घाटन के दौरान समाजवादी पार्टी के दो गुटों में जमकर कहासुनी हुई थी और इसका वीडियो भी वायरल हुआ था। समाजवादी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि टिकट मिलने के बाद से सैयदराजा विधानसभा के किसी भी कार्यक्रम के लिए न तो मनोज कुमार सिंह डब्लू को पार्टी की ओर से और न ही प्रत्याशी की तरफ से आमंत्रित किया गया है। न ही किसी ने उनका सहयोग  मांगा गया है। इसलिए उन्होंने वीरेंद्र सिंह के चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी है।

वहीं समाजवादी पार्टी के सकलडीहा से विधायक प्रभु नारायण सिंह यादव अपनी छत्रछाया में वीरेंद्र सिंह के कई कार्यक्रम आयोजित करवा रहे हैं। उसमें उनको पार्टी के जिला अध्यक्ष सत्यनारायण राजभर का भी सहयोग मिल रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि वीरेंद्र सिंह चंदौली जनपद में प्रभु नारायण सिंह यादव और सत्यनारायण राजभर की सलाह पर ही कार्य कर रहे हैं और उन्हीं के निर्देशन में उनका चुनाव प्रचार चल रहा है।

..तो क्या हार जाएंगे वीरेन्द्र सिंह
लोगों का कहना है कि अगर वीरेंद्र सिंह दो विधानसभाओं में दो दिग्गजों को नजरअंदाज करते हैं तो वह कितनी मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगे, यह तो देखने वाली बात होगी। समाजवादी पार्टी के मुगलसराय के एक पूर्व पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कुछ लोगों को अपने पैसे और ऊपर की पहुंच का बहुत घमंड होता है और वह सोचते हैं कि किसी के दम पर वह चुनाव जीत लेंगे। उन्हें यह नहीं मालूम होता कि यह आम जनता का चुनाव है। इसमें हर एक स्थानीय नेता का महत्व होता है। रामकिशुन यादव को दरकिनार करके वीरेंद्र सिंह कभी भी चंदौली में लोकसभा का चुनाव नहीं जीत सकते हैं।

होगा 50 हजार वोटों का नुकसान
सैयदराजा विधानसभा क्षेत्र के एक कट्टर सपा समर्थक और बूथ प्रभारी ने कहा कि चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी को गुटबाजी से बचनी चाहिए और किसी एक आदमी के इशारे पर काम नहीं करना चाहिए। वीरेंद्र नाथ सिंह को अगर चंदौली लोकसभा सीट का चुनाव जीतना है, तो उन्हें मनोज सिंह डब्लू और रामकिशुन यादव को साथ लेकर चलना होगा, नहीं तो वह कम से कम 50 हजार से अधिक वोटो का नुकसान करेंगे। अगर यह दो नेता मन से चुनाव प्रचार में नहीं लगे तो समाजवादी पार्टी का कोई भी प्रत्याशी चंदौली संसदीय सीट का चुनाव नहीं जीत सकता है।

हालांकि चंदौली समाचार की ओर से वीरेंद्र सिंह के प्रचार प्रसार का जिम्मा संभालने वाले लोगों से संपर्क करने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन उनके प्रतिनिधियों ने ना तो कोई जवाब दिया और नहीं अपना पक्ष रखने की कोशिश की, जिससे यह लगता है कि वीरेंद्र सिंह केवल ऊपरी मैनेजमेंट और हवा हवाई चुनावी अभियान से चंदौली की सीट जीतना चाहते हैं। इसमें वह कितना सफल होंगे यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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