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वाराणसी से चंदौली को जोड़ने वाले सिग्नेचर ब्रिज के शिलान्यास के संकेत, अगले महीने आ रहे हैं PM मोदी

प्रधानमंत्री के संभावित दौरे के मद्देनजर महाशिवरात्रि के बाद लोकार्पण और शिलान्यास की योजनाओं की सूची तैयार की जाएगी, जिसे पीएमओ भेजा जाएगा।
 

पीएम मोदी के संभावित वाराणसी दौरे की तैयारियां तेज

मार्च के अंतिम सप्ताह में वाराणसी आ सकते हैं प्रधानमंत्री मोदी

सिग्नेचर ब्रिज सहित कई विकास परियोजनाओं का हो सकता है शिलान्यास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी आने की चर्चा तेज हो गई है। उनके दौरे के दौरान विकास योजनाओं की समीक्षा, लोकार्पण और शिलान्यास की तैयारियां की जा रही हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि पीएम मोदी मार्च के अंतिम सप्ताह में वाराणसी आ सकते हैं। इस दौरान गंगा नदी पर 1200 करोड़ रुपये की लागत से सिग्नेचर ब्रिज का शिलान्यास भी कर सकते हैं। इसको केंद्र सरकार की मंजूरी मिल गई है। पटना के बाद वाराणसी में बनने वाला सिग्नेचर ब्रिज में सिक्स लेन की सड़क होगी और ट्रेनों के लिए नीचे चार रेल ट्रैक भी बिछाए जाएंगे।

सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री के संभावित दौरे के मद्देनजर महाशिवरात्रि के बाद लोकार्पण और शिलान्यास की योजनाओं की सूची तैयार की जाएगी, जिसे पीएमओ भेजा जाएगा। स्वीकृति मिलने के बाद दौरे की तारीख तय होगी।

इस दौरान प्रधानमंत्री राजघाट पुल के बगल में बनने वाले डबल डेकर पुल (सिग्नेचर ब्रिज), के साथ साथ कई और परियोजनाओं, नगर निगम सदन भवन और शहर की पेयजल व्यवस्था से जुड़ी करोड़ों की योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास भी संभव है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी आमतौर पर हर तीन से चार महीने में अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा करते हैं। इस दौरान वे स्थानीय प्रबुद्धजनों से मुलाकात करने के साथ बाबा विश्वनाथ और काल भैरव के दर्शन भी करते हैं। वर्ष 2025 में यह उनका पहला दौरा होगा। हालांकि, अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन प्रशासन और भाजपा नेताओं का मानना है कि मार्च में प्रधानमंत्री का वाराणसी दौरा संभव है।

कई महीने पहले वाराणसी जिले को केन्द्र सरकार ने एक और सौगात दी थी, जिसमें गंगा नदी पर 1200 करोड़ रुपये की लागत से सिग्नेचर ब्रिज शामिल था। बताया जा रहा है कि इस ट्रैक पर 100 किलोमीटर से ज्यादा रफ्तार से ट्रेनें दौड़ सकेंगी। नए पुल की सिक्स लेन सड़क वाराणसी से चंदौली, बिहार होते हुए पश्चिम बंगाल तक की राह आसान करेगी। सिग्नेचर ब्रिज जिस काशी स्टेशन से जुड़ेगा,  उसके पुनर्विकास के लिए भी 300 करोड़ रुपये मंजूर हुए है।

इसके लिए आईआईटी बीएचयू और रुड़की के साथ ही पुरातत्व विभाग की ओर से अनुमति मिल जाने से निर्माण शुरू करने की तैयारी है। इसको लेकर रेलवे और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ हाईलेवल बैठकों का दौर शुरू हो गया है।

सिग्नेचर ब्रिज बनारस में बनने वाले देश में अपने ढंग के पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट प्लेटफार्म के तहत 'परिवहन संगम' का हिस्सा है। परिवहन संगम स्थल पर रोड, रेल, गंगा में फेरी सर्विस व रोप-वे से पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुविधा उपलब्ध होगी।

सिग्नेचर ब्रिज 1887 में बने बनारस के मालवीय पुल (राजघाट) के समानान्तर और नए इंटर मॉडल काशी स्टेशन को केंद्र में रखकर बनेगा। दो फ्लोर वाले वर्तमान मालवीय पुल में दो रेलवे ट्रैक और चार लेन की सड़क है। इस पर से औसत 25 से 30 की गति से ही ट्रेनें गुजरती हैं। चार साल में बनकर तैयार होने वाला नया ब्रिज मौजूदा राजघाट ब्रिज से ठीक दो गुना होने से एक समय में ज्यादा वाहन फर्राटा भर सकेंगे तो एक समय में अप और डाउन लेन से चार ट्रेनें तीन गुना ज्यादा रफ्तार से आ-जा सकेंगी।

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