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वाराणसी- कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट में अब ऐसे होगा काम, चंदौली में अटका है रोड़ा

निर्माण के लिए दो कंपनियां नियुक्त हैं। करीब तीन हजार करोड़ से 90 किलोमीटर सड़क बननी है। तीन चरण में कार्य स्वीकृत है।
 

ऐसे बांटा जा रहा है यूपी-बिहार का काम

27 किलोमीटर सड़क बनारस इकाई बनाएगी

63 किलोमीटर का काम सासाराम इकाई के जिम्मे

इसलिए छिन गया बनारस से काम
 

चंदौली जिले से शुरू होने वाले वाराणसी- कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन कार्य शुरू करने में जमीन की अड़चन बनी हुयी है। वैसे यह प्रोजेक्ट काफी खास माना जा रहा है। इस एक्सप्रेस-वे के बनने के बाद बनारस से कोलकाता तक दूरी सिर्फ 8 घंटे में तय की जा सकेगी। करीब 620 किमी. परियोजना करीब 13 चरणों में पूरी करने की योजना है। इसके लिए कुल 22 किलोमीटर सड़क उत्तर प्रदेश में, बिहार में 162 किमी, झारखंड में 200 किमी और बंगाल में 234 किमी लंबी होगी। यूपी में यह काम चंदौली जिले से ही शुरू होना है।

आपको बता दें कि निर्माण के लिए दो कंपनियां नियुक्त हैं। करीब तीन हजार करोड़ से 90 किलोमीटर सड़क बननी है। तीन चरण में कार्य स्वीकृत है। एक साल से तय था कि पूरा कार्य प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनारस के इंजीनियर कराएंगे, लेकिन सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने अब व्यवस्था में बड़ा फेरबदल कर दिया है।

अब इस बारे में कहा जा रहा है कि पहला चरण यानी 27 किलोमीटर सड़क बनारस इकाई बनाएगी, जबकि दूसरे व तीसरे चरण का 63 किलोमीटर कार्य सासाराम इकाई के इंजीनियर पूरा करेंगे। इतने हिस्से में जमीन की खरीद शुरू नहीं होने के कारण यह निर्णय लिया गया है। क्योंकि बनारस इकाई को किसानों से वार्ता करने में दिक्कतें हो रही हैं। यहां किसानों में मुआवजा राशि को लेकर असंतोष है, और किसान फिलहाल आंदोलित हैं।

वहीं सड़क निर्माण को लेकर सासाराम के अफसर आर्बिट्रेटर (मध्यस्थ) के जरिए विवाद को सुलझाने व और शीघ्र काम शुरू कराने की कोशिश कर रहे हैं। इसी सप्ताह दोनों परियोजनाएं सासाराम के पीडी को हैंडओवर कर दिया गया है।

चंदौली में होगी शुरुआत
पहला चरण चंदौली के रेवसां गांव से शिहोरिया कैमूर तक 27 किमी लंबा है। इतना हिस्से के लिए 994 करोड़ स्वीकृत हैं। अब सिर्फ यही कार्य बनारस के इंजीनियर करा पाएंगे। इस हिस्से में 80 प्रतिशत जमीन की खरीद हो चुकी है। अक्टूबर में कार्य शुरू करने की तैयारी है, जबकि दूसरा पैकेज कैमूर के शिहोरिया से शिवगांव भभुआ जबकि तीसरा पैकेज कैमूर शिवगांव से कोनकी रोहतास तक स्वीकृत है।

इन कंपनियों को मिला है ठेका
दोनों पैकेज में 37 हेक्टेयर भूमि वन विभाग, जबकि पांच हेक्टेयर जमीन कैमूर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी के दायरे में है। एनकेएस प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड गुड़गांव और पीएनसी इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड आगरा को सड़क बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। तीनों फेज के कार्य दो साल में पूर्ण किए जाने हैं।

यूपी में खरीदनी है 193 हेक्टेयर  और बिहार में 422 हेक्टेयर जमीन
इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए यूपी के हिस्से में 193 हेक्टेयर जमीन खरीदनी है, इसमें चंदौली में 180 हेक्टेयर जमीन चिह्नित कर ली गई है। बिहार के भभुआ, कैमूर और रोहतास में 422 हेक्टेयर जमीन खरीदी जानी है। करीब 22 हजार करोड़ की छह लेन सड़क एक्सेस कंट्रोल तकनीक आधारित बनाई जाएगी। कोलकाता की ओर से काम युद्धस्तर पर चल रहा है।

13 चरणों में होगा काम
कहा जा रहा है कि इस एक्सप्रेस-वे के बनने के बाद बनारस से कोलकाता तक दूरी सिर्फ 8 घंटे में पूरी की जा सकेगी। करीब 620 किमी. परियोजना करीब 13 चरणों में पूरी की जाएगी। 22 किलोमीटर सड़क उत्तर प्रदेश जबकि बिहार में 162 किमी, झारखंड में 200 किमी और बंगाल में 234 किमी कार्य होना है। यूपी, बिहार व झारखंड के 386 किमी मार्ग का टेंडर हो चुका है। बंगाल के 234 किमी कार्य की टेंडरिंग प्रक्रिया सितंबर 2024 तक पूरी हो जाएगी।

अब ये है दावा
इस संबंध में एनएचएआइ वाराणसी के सासाराम के परियोजना निदेशक प्रवीण कुमार कटिहार ने बताया कि परियोजना निदेशक को हस्तांतरित कर दिया गया है। हमारी कोशिश है कि पहले चरण का कार्य शीघ्र शुरू करा दें। यहां जमीन का कोई विवाद नहीं है।

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