इसलिए चकिया में 15 साल बाद फहराया भगवा, गौरव की जीत में इनका खास योगदान
 

उम्मीदवार बनाकर प्रत्याशी को अधिकांश मौके पर मीरा जायसवाल को अकेला छोड़ दिया। सपा के नेता एक जुट होकर दिनरात एक करते हो इनके आधे मत सपा के पक्ष में हो सकते थे।
 

चकिया में भाजपा के गौरव श्रीवास्तव जीते

15 साल के बाद भाजपा ने तोड़ा विरोधियों का चक्रव्यूह

चंदौली जिला की चकिया नगर पंचायत में 15 साल के बाद भाजपा को जीत मिली है और गौरव श्रीवास्तव विजयी 742 वोटों से घोषित हुए हैं। गौरव श्रीवास्तव की जीत को लेकर तरह तरह की आशंकाएं व्यक्त की जा रहीं थीं, लेकिन भाजपा के इस प्रत्याशी के साथ-साथ उसके सहयोगी रणनीतिकारों ने हर छोटे-बड़े समीकरण को खुद साधने की कोशिश की और विरोधियों से अधिक के प्रचार पर फोकस किया। कहा जा रहा है कि भाजपा इन पांच प्रमुख कारणों से चकिया में कमल खिलाने व विरोधियों को भारी मतों से हराने में सफल रही।

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गौरव श्रीवास्तव का व्यवहार
गौरव श्रीवास्तव के बारे में लोगों में यह चर्चा का विषय रहा कि वह कुशल व्यक्तित्व के धनी हैं।  सर्व समाज से उनका लगाव रहा है। वह सबसे मिलना जुलना सबसे भाईचारा की तरह संबंध बनाए रखना उनकी आदत का शुमार था। गौरव श्रीवास्तव का पेशा से वकील के साथ-साथ पत्रकारिता का भी था और वह हमेशा लोगों के सुखदुख में शामिल हुआ करते थे। सामाजिक दायरा बड़ा होने के बाद भी सबके साथ उठना बैठना बातचीत करने में किसी भी तरह का गुरेज नहीं रखते थे। भाजपा से नगर पंचायत अध्यक्ष का टिकट मिलने के बाद भी सबके साथ उनका कुशल व्यवहार देखा जाता रहा। यही कारण है कि नगर पंचायत चुनाव में इन्हें वोट पार्टी लेवल से कम इनके व्यवहार से ज्यादा मिला है।

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बड़े नेताओं के प्रचार से अधिक खुद पर भरोसा
चकिया में गौरव की जीत ने जिले में भाजपा की प्रतिष्ठा को बचाए रखने में संजीवनी का काम किया है। जबकि गौरव की जीत में भाजपा का कोई भी कद्दावर नेता प्रचार प्रसार में नहीं आया। केवल स्थानीय विधायक कैलाश खरवार व उनके दो-तीन खासमखास सहयोगी हमेशा गौरव श्रीवास्तव के साथ देखे गए। हालांकि उनके इलाके में थोड़ी देर के लिए राज्यसभा सांसद दर्शना सिंह व मुगलसराय विधायक रमेश जायसवाल भी दस्तक देने के लिए आए थे। लेकिन गौरव श्रीवास्तव अपने कुशल व्यवहार कुशल व्यक्तित्व के चलते चुनाव जीतकर गौरव ने 15 साल बाद चकिया नगर में भाजपा की खोई प्रतिष्ठा को वापस लाने का काम किया है।

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मुस्लिम वोटों का बिखराव
चकिया नगर पंचायत में 15 साल के बाद कमल खिलने के पीछे मुस्लिम मतदाताओं के वोटों का सपा में न जाना और चंदौली जिला के चकिया नगर पंचायत में भाजपा की जीत मुस्लिम मतों का बिखराव हुआ और बागी प्रत्याशी के रूप में रवि प्रकाश चौबे का चुनाव लड़ना भी भाजपा की जीत के लिए प्लस साबित हुआ। चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि अब मतदाताओं के मिजाज को भांपना आसान नहीं रहा। लोगों का मानना है कि अफसार खान को 988 वोट मिलना और सपा के बागी बनकर मैदान में उतरे रवि प्रकाश चौबे को 849 मत मिलना मीरा जायसवाल के मार्ग का बड़ा कांटा साबित हुआ। ये डेढ़ हजार वोट सपा के पाले में जा सकते थे, लेकिन समाजवादी पार्टी के लोगों ने भाजपा जैसी सक्रियता नहीं दिखायी। उम्मीदवार बनाकर प्रत्याशी को अधिकांश मौके पर मीरा जायसवाल को अकेला छोड़ दिया। सपा के नेता एक जुट होकर दिनरात एक करते हो इनके आधे मत सपा के पक्ष में हो सकते थे। अगर ऐसा होता तो परिणाम सपा के पक्ष में आया होता।

वैश्य बिरादरी का वोट न बंटना
बता दें कि चकिया नगर को जहां भाजपा का गढ़ कहा जाता है। वहीं अपने ही घर में भाजपा तीन पंचवर्षीय चुनाव से लगातार हार का सामना करती चली आ रही थी लेकिन अबकी बार पार्टी ने टिकट बांटने में किसी तरह का भूल किए बगैर गौरव श्रीवास्तव को टिकट देकर 15 वर्षों से चकिया नगर में खोई प्रतिष्ठा को वापस लाने में कामयाबी हासिल की है। इसमें मीरा जायसवाल के पक्ष में सारे वैश्य बिरादरी के वोटों की गोलबंदी न होना भी एक बड़ा कारण बनी। जायसवाल के अलावा बाकी वैश्य समुदाय के लोग भाजपा के पक्ष में देखे गए, जिससे अपने गढ़ में भाजपा को सपा से पिछड़ना नहीं पड़ा।

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विरोधी दल के जीतेंगे तो नहीं मिलेगा बजट
भाजपा के लोगों ने पिछले 15 सालों का इतिहास दिखाते हुए कहा कि अगर विरोधी दल के लोग जीतेंगे को चकिया नगर पंचायत को अतिरिक्त बजट नहीं मिलेगा और हमेशा सरकार की प्राथमिकता में चकिया सबसे नीचे रहेगा। ये बात भी चकिया नगर पंचायत के लोगों की समझ में आ गयी, जिससे चकिया नगर पंचायत में भाजपा के पक्ष में माहौल बना और मीरा जायसवाल को सहानुभूति के वोट कम मिले।