लगातार 3 बार हार के बाद भी राबर्ट्सगंज लोकसभा का टिकट मांग रहे जितेन्द्र कुमार
पूर्व विधायक जितेंद्र कुमार हो सकते हैं सपा उम्मीदवार
लोकसभा टिकट के लिए मजबूती से कर रहे दावेदारी
5 बार लड़ चुके हैं विधानसभा चुनाव
केवल एक बार मिली है बसपा लहर में जीत
वैसे तो यहां अपना दल के वर्तमान सांसद का टिकट तय माना जा रहा है तो सपा से टिकट मांगने वालों में पूर्व विधायक जितेंद्र कुमार एडवोकेट अपनी मजबूती पिछले विधान सभा में पेश कर चुके हैं। जितेंद्र अब तक पांच बार विधान सभा का चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उनको सफलता सिर्फ एक बार 2007 में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के रूप में मिली थी। लगातार हारने के बाद भी जितेंद्र का जनाधार कम नहीं हुआ।
आपको याद होगा कि जितेंद्र कुमार एडवोकेट ने पहला चुनाव 2002 में बसपा से लड़ा था और केवल 38,267 मत पाए । उस दौरान वह 8079 मतों से भाजपा प्रत्याशी शिव तपस्या पासवान से पीछे रह गए थे। इसके बाद जितेंद्र ने 2007 के चुनाव में अपने मतों में इजाफा करते हुए 48,655 मत पाए और बसपा के टिकट पर जीत हासिल की।
इसके बाद 2012 के चुनाव में जितेंद्र कुमार एडवोकेट ने अपने मतों में रिकार्ड बढोत्तरी की और उनको 82,603 वोट मिले, लेकिन वे पूर्व विधायक सत्य प्रकाश सोनकर की पत्नी पूनम सोनकर से चुनाव हार गए। हालांकि चुनाव से पहले पूर्व विधायक सत्य प्रकाश सोनकर के निधन हो जाने से आम लोगों की सहानुभूति पूनम सोनकर के पक्ष में हो गयी थी। फिर 2017 के चुनाव में भाजपा के लहर के बावजूद जितेंद्र कुमार को 76,827 वोट मिले, लेकिन वह भाजपा विधायक शारदा प्रसाद से चुनाव हार गए।
2022 के विधानसभा चुनाव में जितेन्द्र कुमार ने पाला बदला और बसपा छोड़ समाजवादी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़े। जितेंद्र कुमार ने 88,011 मत पाकर भी चुनाव हार गए। लगातार हार के बावजूद जितेंद्र कुमार एडवोकेट ने पूरे लोकसभा क्षेत्र में दौरा करके अपना काम करते रहे।
हाईकोर्ट में वकालत कर चुके जितेंद्र कुमार एडवोकेट कॉफी दमदार दलित नेता माने जाते हैं। जब 2007 में विधायक थे तो चन्दौली जनपद के अधिकारियों में अपनी हनक बनाने की कोशिश की थी। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी के प्रबल दावेदार थे। उस समय बसपा से टिकट मांग रहे थे, लेकिन टिकट सपा के खाते में चले जाने से दावेदारी खत्म हो गयी। अब 2024 लोकसभा का बिगुल बज चुका है, ऐसे में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में जितेंद्र ने एक बार फिर मजबूत दावेदारी पेश कर दी है और लोकसभा क्षेत्र में प्रतिदिन दौरा कर अपने पक्ष में कार्यकर्ताओं को करने की कोशिश में लगे हुए हैं।
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