डीजे की कानफाड़ू शोर लोगों को बना रहा बीमार, डीजे पर प्रतिबंध के बाद भी आयोजक बेपरवाह

चंदौली जिले के दुलहीपुर में शादियों के मौसम में डीजे का तेज शोर लोगों को बीमार बना रहा है। पहले से बीमार चल रहे लोगों की भी तबीयत खराब हो रही है। कमजोर दिल वालों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकती है। डीजे पर प्रतिबंध के बाद भी इस पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है। आयोजक लोगों की समस्याओं से बेपरवाह हैं, शोर से मना करने पर आयोजक नाराज हो जाते हैं।

जानकारी के अनुसार डीजे से 120 से 130 डेसीबल तक का शोर करता है जो खतरनाक ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में आता है। इस दौरान आवाज में कंपन बढ़ जारा है। यही कंपन हृदय रोगियों के लिए जानलेवा होता है। सबसे बड़ी परेशानी तो तब हो जाती है जब डीजे की धुन पर नाचने वाले घंटों एक ही जगह पर खड़े होकर डांस करते हैं। विवाह समारोह में डीजे बजाना आज आम फैशन बन गया है। इसके अलावा सभा, समारोह और धार्मिक उत्सवों के दौरान गली-मोहल्लों में विभिन्न आयोजन समितियों की ओर से डीजे का इस्तेमाल किया जा रहा है। डीजे के लिए पहले सामान्य जनरेटर का उपयोग किया जाता था। समय के साथ इसमें भी बदलाव हो गया है। बड़े-बड़े साउंड बॉक्स के जरिए बजने वाले गाने अलग अंदाज के होते हैं। डीजे की इतनी तेज आवाज होती है कि घरों की दीवारें, दीवारों पर टंगे बर्तन और जमीन में भी कंपन महसूस की जा सकती है।
इस सम्बंध में गांव निवासी नौशाद अहमद का कहना है कि शादियों के दौरान डीजे के तेज आवाज से लॉन के समीप के मोहल्ले में रहने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है। वहीं रात में तेज आवाज के कारण लोग सो नहीं पाते हैं।
गांव निवासी राधेश्याम प्रजापति का कहना है कि डीजे के लिए पहले सामान्य जनरेटर का उपयोग किया जाता था। समय के साथ इसमें भी बदलाव हो गया हैं। बड़े-बड़े साउंड बॉक्स के जरिए बजने वाले गानों के धुन भी कुछ अलग अंदाज के होते हैं। डीजे की तेज आवाज ऐसी होती है कि घरों की दीवारों में रखे सामान और बर्तन हिलने लगते हैं तो वहीं जमीन में कंपन सी महसूस होता हैं।
गांव निवासी जयप्रकाश पटेल का कहना है कि तेज आवाज में डीजे बजाने कि प्रथा बंद होनी चाहिए। यह तो किसी के लिए ठीक नहीं है। डीजे बजता है, तो नींद नहीं आती हैं। इसमें तो सभी को जागरूकता दिखानी चाहिए।

इस सम्बंध में नियामताबाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. रविकांत सिंह बोले कि 120 डेसीबल और इससे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण खतरनाक स्तर का है। 120 डेसिबल का शोर कान के पर्दे के साथ ही हृदय की धड़कन बढ़ा देता है। दिल तेजी से धड़कने लगता है। इससे भय के साथ बेचैनी होती है। अगर दिल के बीमारी से पहले से है तो शादी और पार्टियों में जा रहे हैं तो डीजे के शोर वाली से दूर चले जाएं।
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