चंद्रप्रभा अभयारण्य में फलदार वृक्षों की संख्या में कमी, शाकाहारी वन्य जीवों पर आ रहा है संकट
डीएफओ साहब जरा इस पर भी ध्यान दीजिए
आबादी क्षेत्र में कर रहे कूच जंगली जानवर
गेहूं और सब्जी को कर रहे हैं बर्बाद
फलदार पौधे लगवाने को लेकर वन विभाग उदासीन
आपको बता दें कि वन्य जीव किसानों के खेतों में खड़ी फसल को वर्बाद कर रहे हैं। इससे किसानों और वन्य जीवों दोनों के लिए परेशानी बढ़ गई है। जंगल में पहले तेन, पियार, आंवला, बेर, विरौंजी, करौंदा, आम, अमरूद, त्रिफला, कइत, जंगल जलेबी, बेल, गूलर, पाकड़ आदि फलों वाले वृक्ष भरपूर मात्रा में थे। शाकाहारी जंगली जीवों को आसानी से आहार मिल जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में पुराने वृक्षों के सूखने और वनों के दोहन के कारण शाकाहारी वन्य जीवों को उनका समुचित आहार नहीं मिल पा रहा है।
बताते चलें कि इससे बंदर, लंगूर, भालू, हिरन, सांभर, घड़रोज, चिंकारा आदि जंगली जानवरों को अपना पेट भरने के लिए रिहायशी इलाकों का रुख करना पड़ रहा है। जंगल छोड़कर मैदानी इलाकों में पहुंचे जंगली जानवर अपनी भूख मिटाने के साथ ही किसानों की फसल भी बर्बाद कर रहे हैं। इससे उनके जीवन पर खतरा मंडराता रहता है।
इमारत निर्माण से संबंधी पौधों का ही हो रहा रोपण -
वन विभाग की ओर से हर साल शीशम, सागौन, सहजन समेत अन्य इमारत निर्माण से संबंधित लकड़ी वाले पौधे ही रोपित कराए जाते हैं। प्रति वर्ष मानसून सीजन में 35 लाख से अधिक पौधे लगवाए जाते हैं, लेकिन फलदार पौधे लगवाने को लेकर विभाग की ओर से उदासीनता बरती जाती है। इसीलिए जंगली जानवर कस्बों व शहरों की ओर रुख करने लगते हैं, क्योंकि उनको पेट भरने के लिए भोजन नहीं मिलता है।
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