चंदौली और मुगलसराय में फेल रहा सांसद व विधायक का करिश्मा, किन्नर की जीत से मची है खलबली
डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय और विधायक को संदेश
कार्यकर्ता ही नहीं जनता भी नहीं है खुश
चुनाव में न दें केवल आश्वासन
अपने आश्वासन पर भी खरे उतरने की करें कोशिश
चंदौली जिले में भारतीय जनता पार्टी जिले की तीन नगर पंचायत और एक नगर पालिका परिषद की सीट को एक बार फिर से जीतकर अपना परचम लहराना चाह रही थी। इसका दावा भाजपा के नेता ही नहीं चंदौली के सांसद व मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय भी करके गए थे, लेकिन परिणाम भाजपा के नेताओं की उम्मीद के विपरीत आया, जिससे साफ संकेत मिल रहा है कि भाजपा के बड़े नेता जनता का मूड भांपने में विफल साबित हो रहे हैं और नीचे के नेता जमीनी रिपोर्ट सही तरीके से नहीं दे रहे हैं।
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चंदौली जिले की सैयदराजा विधानसभा में पड़ने वाली सैयदराजा नगर पंचायत और वहां के भाजपा विधायक सुशील सिंह के साथ साथ चकिया विधानसभा में पड़ने वाली चकिया नगर पंचायत व वहां के भाजपा विधायक कैलाश खरवार ने ही पार्टी की लाज बचाकर दो सीटें भाजपा की झोली में डालने की सफल कोशिश की। उसके अलावा बाकी किसी और नेता का जादू उनके इलाके में नहीं चला। इतना ही नहीं मुगलसराय विधानसभा के क्षेत्र में आने वाली चंदौली नगर पंचायत और मुगलसराय नगरपालिका की सीट निर्दलियों के खाते में चली गई और यहां भारतीय जनता पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर पालिका की सीट तो एक किन्नर उम्मीदवार ने जीत ली, जिसको जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी के सांसद और विधायक ने काफी मेहनत की थी और कई दिनों तक छोटे बड़े कार्यक्रम में शामिल होकर जीत दिलाने की गारंटी ली थी।
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इस तरह से देखा जाए तो चंदौली जिले के नगर निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के संगठन और मैनेजमेंट की हार हुयी है। क्योंकि पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर पालिका परिषद में भारतीय जनता पार्टी का ही चेयरमैन था और उसके कामकाज के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार के काम के नाम पर वोट मांगा जा रहा था और यहां पर स्थानीय विधायक ने जमकर अपने पसंदीदा उम्मीदवार के लिए चुनाव प्रचार भी किया था। इतना ही नहीं उनके ऊपर जरूरत से ज्यादा प्रचार करने और आचार संहिता के उल्लंघन का भी आरोप लगा था। लेकिन वह जनता का विश्वास नहीं जीत पाए और नगर पालिका के चुनाव में मुगलसराय की शहरी जनता ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को नकारते हुए विधायक रमेश जायसवाल को भी एक संदेश दे दिया।
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वहीं विधायक रमेश जायसवाल के विधानसभा क्षेत्र में आने वाले चंदौली नगर पंचायत की सीट भी निर्दलीय उम्मीदवार सुनील यादव उर्फ गुड्डू यादव ने जीत ली। सुनील यादव के पिता और पत्नी की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए नगर पंचायत क्षेत्र की जनता ने एक बार फिर चेयरमैन की कुर्सी सुनील यादव को सौंपने का मन बनाया, तो यहां पर विधायक रमेश जायसवाल ने अपनी बिरादरी को शपथ दिलाकर भाजपा के पक्ष में करने की कोशिश की। वहीं सांसद जी को भी अपनी बिरादरी के लोगों के साथ बैठक करके मनाने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन इन दोनों नेताओं की अपील का भाजपा के वोट बैंक पर कुछ खास असर नहीं हुआ और इसका नतीजा यह हुआ कि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार ओमप्रकाश सिंह उर्फ ओपी सिंह चुनाव हार गए।
हालांकि हार जीत का अंतर 399 वोटों का रहा फिर भी इसे बड़ी हार के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि जिला मुख्यालय की सीट थी और पूरे जिले की राजनीति इसी जिला मुख्यालय से गवर्न होती है। सारे विकास कार्यों के लिए धन इसी इलाके में पड़ने वाले जिलाधिकारी कार्यालय, विकास भवन व जिला पंचायत के कार्यालयों से जाता है, क्योंकि सारे सरकारी विभागों के कार्यालय यहीं पर हैं। स्व. लालता यादव के परिवार का तीसरा शख्स नगर पंचायत की बागडोर संभालने जा रहा है और भाजपा के उम्मीदवार के नामांकन के दौरान रथ पर बैठे महारथी और सारथी का भी करिश्मा फेल हो गया।
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किन्नर की जीत को कोई स्थानीय सांसद व विधायक का करिश्मा फेल होने से जोड़ रहा है तो कोई कह रहा है कि सांसदजी और विधायक जी को इस हार के मैसेज को समझना होगा और नाराज लोगों ने निजी बैठकों में जो शिकायतें की थीं, उनको लेकर जागरूक बनना होगा, तभी वह अपने चुनाव में इस तरह का झटका खाने से बच सकेंगे, नहीं तो जनता 2024 और 2027 में इनको भी इसी तरह का सीधा संदेश दे सकती है।
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