सपा प्रत्याशी वीरेन्द्र सिंह बोले- ओमप्रकाश राजभर बेंचते हैं टिकट, सुभासपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश
सपा को जवाब देने के लिए एकजुट हो रहे राजभर
बयान पर महेंद्र राजभर ने तीखा प्रहार
बोले-सबको याद है सपा के कार्यकाल की खुलेआम गुंडई
सपा प्रत्याशी ने सकलडीहा के विधायक प्रभुमारायण सिंह यादव के कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस गांव में सुहेलदेव जी की मूर्ति सपा विधायक द्वारा लगवाई गई है और हमारी पार्टी द्वारा सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की हर तरह से मदद की जाती थी। विधानसभा के चुनाव में 18 टिकट दिया गया, लेकिन दो टिकट अपने और अपने पुत्र को राजभर समाज के लिए दिया था, बाकी टिकटों को पैसे लेकर बेंच दिया। उन्होंने कितने रुपए में किसको बेचा है, जो चाहे उसकी तहकीकात कर सकता है।
सपा प्रत्याशी वीरन्द्र सिंह ने राजभर समाज को नसीहत देते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी ही उनकी असली हितैषी है और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता राजभरों के वोटों के बल पर टिकट को बेचते हैं।
सपा उम्मीदवार का यह बयान और वीडियो जोरों पर वायरल हो रहा है और इस मामले का संज्ञान सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेताओं ने लिया है।
इस संबंध में सुभाषपा का के प्रदेश उपाध्यक्ष महेंद्र राजभर ने तीखा प्रहार करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के सरकार के वह दिन किसी को नहीं भूले हैं, जिसमें खुलेआम गुंडई होती थी और इन्हीं गरीबों को सताया जाता था। सपा, बसपा और कांग्रेस तीन शातिर चोरों की तरह हैं, जो जनता से छिनैती करते हैं। जनता की पाकिटमारी करते हैं और जनता से चीटिंग बाजी करते हैं। ऐसे लोगों को जनता समझ गई है।
राजभर ने कहा कि भगवान राम का साथ देने वाले भारतीय जनता पार्टी के साथ हनुमान जमावंत की तरह सुभासपा के कार्यकर्ता जुटे हुए हैं और भाजपा की उत्तर प्रदेश में 80 की 80 सीटों पर विजय हासिल होगी।
चंदौली संसदीय क्षेत्र से केंद्रीय मंत्री व भाजपा के प्रत्याशी डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडे तीसरी बार हैट्रिक लगाएंगे और रिकॉर्ड तोड़ वोटों से जीत हासिल करेंगे।
आपको बता दें कि राजभरों का हितैषी कहने वाले समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह के द्वारा ओमप्रकाश राजभर को टिकट बेचने वाला कहने पर राजभरों में आक्रोश व्याप्त है।
इस बयान को लेकर राजभर अपने पार्टी के नेता के पक्ष में गांव-गांव मुहिम चलकर वोटों को एकजुट करने की भी बात कह रहे हैं। अब इसका परिणाम आने वाले एक जून को ही पता चल पाएगा कि राजभरों का असली नेता कौन है और राजभर किसके साथ खड़े हैं।
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